शहर में चल रहे सी.टी. स्कैन सैंटरों व एम.आर.आई. स्कैन सैंटरों के लिए नए निर्देश जारी हुए हैं। जिला परिवार भलाई आफिसर सिविल सर्जन द्वारा जारी निर्देशों में बताया गया है कि उक्त सैंटरों में काम करने वाले स्टाफ की योग्यता बारे पूरा विवरण देना होगा, जिसकी रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर सिविल सर्जन आफिस भेजनी जरूरी बताई गई है। प्रशासन के इन आदेशों के बाद उक्त सैंटर संचालकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इन आदेशों के बाद अब सी.टी. स्कैन व एम.आर.आई. सैंटरों में काम करने वाले कर्मियों की योग्यता बारे जानकारी सरकार के पास होनी चाहिए।
दरअसल,,,, में चल रहे कई सारे डायग्नोस्टिक सैंटरों में अनट्रेंड व अयोग्य स्टाफ टैक्नीशियनों की भर्ती की गई है, इतना ही नहीं कुछ फेक डिप्लोमा होल्डर भी इन सैंटरों में काम कर रहे हैं, जोकि स्वास्थ्य संबंधी देखभाल के लिए एक ज्वलंत मुद्दा है। दरअसल जालंधर शहर में चल रहे कुछ डायग्नोस्टिक स्कैनिंग सेंटरों के खिलाफ फर्जी डिप्लोमा वाले अयोग्य स्टाफ टेक्नीशियन एक्स रे मशीनों को संभाल रहे हैं, जोकि लोगों के जीवन के साथ सीधे-सीधे खिलवाड़ है। सरकार को उक्त ऐसे सैंटरों का डाटा एकत्र करना चाहिए और सभी टैक्नीशियनों के डिप्लोमा, डिग्री, शैक्षणिक विवरण की जांच करनी चाहिए। इन सबकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई जानी चाहिए, जोकि जो अयोग्य स्टाफ कर्मचारियों की पहचान करने के लिए जांच करे। जांच पूरी होने पर ऐसे सभी दोषी अस्पतालों की पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करें जैसा कि आरोप लगाया गया है। सरकार को यह सर्वे पूरे पंजाब में कराना चाहिए।
पंजाब सरकार कमेटी को निर्देशित करें कि सदस्यों को 15 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी अन्य कड़ी कार्रवाई का सामना करना होगा। ऐसे सभी अस्पतालों, डायग्नोस्टिक स्कैनिंग सैंटरों को चेतावनी व नोटिस जारी किए जाने चाहिएं, अगर कोई स्टाफ कर्मी बिना योग्यता के पाया जाता है तो उन सैंटरों के खिलाफ कड़ा एकशन लिया जाए व उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया जाएगा।
